नयागाँव, हिमाचल प्रदेश का एक छोटा और सुंदर गाँव, अपनी हरियाली और शांत वातावरण के लिए जाना जाता था। लेकिन गाँव के एक कोने में एक पुरानी और भयानक हवेली थी, जिसे सब “नयागाँव हवेली” के नाम से जानते थे। गाँववालों का मानना था कि इस हवेली में एक भूत का बसेरा था। हवेली में जाने की हिम्मत कोई नहीं करता था।
राहुल, एक युवा पत्रकार, जो अंधविश्वासों में विश्वास नहीं करता था, ने नयागाँव हवेली की सच्चाई जानने की ठान ली। वह अपने दोस्त अजय के साथ गाँव पहुँचा और हवेली के बारे में पूछताछ शुरू की। गाँववालों ने उन्हें हवेली से दूर रहने की चेतावनी दी, लेकिन राहुल और अजय ने इसे नजरअंदाज कर दिया।
शाम के समय, जब सूरज ढल रहा था, राहुल और अजय ने हवेली में प्रवेश किया। हवेली के अंदर घुसते ही उन्हें ठंड और अजीब सी खामोशी महसूस हुई। हर कदम पर पुरानी लकड़ी की फर्श चीख रही थी। दीवारों पर धूल और मकड़ियों के जाले थे। हवेली की हर चीज़ मानो एक भयानक कहानी कह रही थी।
उन्होंने पहली मंजिल की ओर बढ़ते हुए एक कमरे का दरवाजा खोला। कमरे में एक पुराना झूला कुर्सी था, जो अचानक अपने आप हिलने लगा। राहुल ने अपने कैमरे से वीडियो बनाना शुरू किया। तभी, एक ठंडी हवा का झोंका आया और उनके कैमरे की बैटरी खत्म हो गई। डरते हुए अजय ने राहुल को हवेली छोड़ने की सलाह दी, लेकिन राहुल ने उसे नजरअंदाज कर दिया और जांच जारी रखी।
दूसरी मंजिल पर एक कमरे में उन्हें एक पुरानी डायरी मिली। डायरी में लिखा था कि यह हवेली कभी राजन साहब की थी, जिनकी बेटी राधिका की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। राधिका की आत्मा को शांति नहीं मिली और वह हवेली में ही भटकने लगी। लोग कहते थे कि राधिका की आत्मा अब भी अपने पिता का इंतजार करती है।
डायरी पढ़ते–पढ़ते अचानक राहुल को किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। वह आवाज दूसरी मंजिल के कमरे से आ रही थी। राहुल और अजय डरते हुए उस कमरे की ओर बढ़े। कमरे का दरवाजा खोलते ही उन्होंने देखा कि एक सफेद साड़ी पहने लड़की, जो हवा में तैर रही थी, रो रही थी। राहुल ने हिम्मत जुटाकर पूछा, “तुम कौन हो और क्या चाहती हो?”
लड़की ने कहा, “मैं राधिका हूँ। मेरे पिता ने मुझे यहाँ अकेला छोड़ दिया था। मैं अपने पिता का इंतजार कर रही हूँ।“
राहुल ने उसे समझाया कि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं और उसे अब शांति पा लेनी चाहिए। राधिका की आत्मा ने राहुल की बात समझी और उसकी आँखों में आँसू आ गए। धीरे–धीरे वह धुंधली होती गई और अंततः गायब हो गई।
राहुल और अजय ने हवेली से बाहर आकर चैन की सांस ली। उन्होंने गाँववालों को सब कुछ बताया। नयागाँव हवेली का भूत अब गायब हो चुका था और हवेली फिर से सुरक्षित हो गई थी। गाँववाले राहुल और अजय का धन्यवाद करते रहे।
इस सच्चे अनुभव ने राहुल को यह सिखाया कि हर कहानी में कुछ सच्चाई होती है और हमें पुराने किस्सों का सम्मान करना चाहिए। नयागाँव हवेली का भूत अब सिर्फ एक कहानी बनकर रह गया, लेकिन उस रात के डरावने अनुभव को राहुल कभी नहीं भूल पाएगा।