सुदूर जंगलों के बीच बसे गांव का नाम था शिवपुर। यह गांव एक घने और रहस्यमयी जंगल से घिरा हुआ था। गांव के लोग अपने जीवनयापन के लिए खेती–किसानी और पशुपालन पर निर्भर थे। हालांकि, शिवपुर के शांत और सुकून भरे वातावरण के बावजूद, गांव वालों के दिलों में एक अनजाना डर समाया हुआ था। इस डर का कारण था जंगल में छिपा एक खूनी दरिंदा, जिसके बारे में गांव में कई कहानियाँ प्रचलित थीं।
कई वर्षों से गांव के लोग इस दरिंदे के कारण परेशान थे। रात के समय अक्सर पशुओं का गायब हो जाना और जंगल के किनारे बसे घरों से लोगों का लापता होना आम बात थी। गांव के बुजुर्गों का मानना था कि यह कोई साधारण जानवर नहीं, बल्कि एक रहस्यमयी प्राणी था। इस दरिंदे की कहानियाँ सुनकर ही बच्चों के रोंगटे खड़े हो जाते थे। लोग मानते थे कि यह दरिंदा दिन में सोता था और रात में शिकार के लिए निकलता था।
गांव में एक युवक था, जिसका नाम था अजय। अजय एक बहादुर और साहसी युवक था। उसने अपनी पूरी जिंदगी इस गांव में बिताई थी और उसने अपने बचपन से ही इन कहानियों को सुना था। अजय को इन कहानियों पर विश्वास नहीं होता था। उसे लगता था कि यह सिर्फ लोगों की मनगढ़ंत कहानियाँ हैं, जो डर के कारण फैलाई जाती हैं। अजय ने निर्णय लिया कि वह इस रहस्य को सुलझाएगा और गांव वालों को इस डर से मुक्ति दिलाएगा।
एक रात अजय ने जंगल में जाने का निश्चय किया। उसने अपने दोस्तों को इस बारे में बताया, लेकिन सबने उसे मना किया। गांव के लोगों ने उसे समझाया कि यह बहुत खतरनाक है और उसकी जान को खतरा हो सकता है। परंतु अजय ने अपने निश्चय को दृढ़ रखते हुए जंगल में जाने का फैसला किया। वह जानता था कि अगर वह इस दरिंदे का सामना कर सके तो वह गांव वालों के दिलों से डर को निकाल सकेगा।
अजय ने अपने सफर के लिए रात का समय चुना, क्योंकि उसे विश्वास था कि रात में ही वह उस दरिंदे को देख सकेगा। वह अपने साथ एक टॉर्च, कुछ खाने–पीने का सामान और एक धारदार छुरी लेकर निकला। जंगल में प्रवेश करते ही उसे एक अजीब सा सन्नाटा महसूस हुआ। पेड़ों की सरसराहट और दूर कहीं जानवरों की आवाजें उसके कानों में गूंज रही थीं। अजय ने अपनी टॉर्च जलायी और रास्ते पर बढ़ता गया।
जंगल के अंदर जाते हुए अजय को कई अजीब और डरावनी चीजें महसूस हो रही थीं। उसकी टॉर्च की रोशनी में पेड़ों की परछाइयाँ अजीब और भयानक दिख रही थीं। उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई उसकी हर हरकत को देख रहा हो। अचानक, उसकी टॉर्च की रोशनी एक अजीब सी आकृति पर पड़ी। वह कुछ पल के लिए ठिठक गया, लेकिन फिर उसने अपनी हिम्मत जुटाई और उस आकृति की ओर बढ़ा।
जैसे–जैसे अजय उस आकृति के पास पहुंचा, उसने देखा कि वह एक जंगली जानवर का कंकाल था। यह देख कर उसके रोंगटे खड़े हो गए, लेकिन उसने अपने डर को नियंत्रित किया और आगे बढ़ा। उसे अब यकीन हो गया था कि जंगल में वाकई कुछ न कुछ तो है जो इतना भयानक है कि जानवरों को भी नहीं छोड़ता। अजय ने अपने कदमों को तेज़ किया और जंगल के और अंदर घुसता चला गया।
जंगल की गहराई में उसे कई और अजीब चीजें देखने को मिलीं। पेड़ों के नीचे बिखरी हड्डियाँ, जानवरों के छूटे हुए अंग, और जगह–जगह पर खून के धब्बे। यह सब देख कर अजय के मन में डर और बढ़ता जा रहा था, लेकिन उसने हार नहीं मानी। वह जानता था कि उसे इस रहस्य का पर्दाफाश करना ही होगा।
आखिरकार, अजय एक बड़े और घने पेड़ों के झुंड के पास पहुंचा। यहां पर उसे एक अजीब सी गंध महसूस हुई। उसने अपनी टॉर्च की रोशनी में देखा कि वहां एक गुफा जैसी संरचना है। अजय ने सोचा कि शायद यही वह जगह है जहां वह खूनी दरिंदा छिपा हुआ है। उसने अपनी हिम्मत जुटाई और गुफा की ओर बढ़ा।
गुफा के अंदर अंधेरा और भयानक सन्नाटा था। अजय ने अपनी टॉर्च की रोशनी को और तेज़ किया और अंदर बढ़ता चला गया। गुफा के अंदर जाते ही उसे चारों तरफ खून के धब्बे और जानवरों के अवशेष दिखाई दिए। यह देख कर अजय का दिल दहल गया, लेकिन उसने अपनी हिम्मत बनाए रखी। उसने गुफा के अंदर और आगे बढ़ने का निर्णय लिया।
जैसे ही वह गुफा के और अंदर पहुंचा, उसे एक भयानक आवाज़ सुनाई दी। यह आवाज़ बहुत ही डरावनी और गूंजने वाली थी। अजय ने अपनी टॉर्च की रोशनी उस दिशा में डाली और उसने देखा कि वहां एक बड़ा और भयानक दरिंदा खड़ा था। यह दरिंदा किसी भी जानवर से बड़ा और भयानक था। उसकी आँखें चमक रही थीं और उसके दांत नुकीले और भयानक थे। दरिंदे ने अजय की ओर देखा और उसकी ओर बढ़ने लगा।
अजय ने तुरंत अपनी छुरी निकाली और खुद को बचाने के लिए तैयार हो गया। दरिंदे ने अजय पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन अजय ने अपनी छुरी से उसका मुकाबला किया। दोनों के बीच भयानक संघर्ष हुआ। अजय ने अपनी पूरी ताकत से दरिंदे का सामना किया और आखिरकार उसे घायल करने में कामयाब रहा। दरिंदा घायल होकर गुफा के अंदर भाग गया।
अजय ने तुरंत अपने गांव लौटने का निर्णय लिया। वह जानता था कि उसने दरिंदे को घायल तो कर दिया है, लेकिन वह अभी भी जिंदा है। उसने सोचा कि गांव के लोगों को इस बारे में बताना जरूरी है ताकि वे सतर्क रहें। गांव पहुंचते ही उसने अपनी कहानी सभी को सुनाई। गांव के लोग उसकी बहादुरी की प्रशंसा करने लगे और उसकी कहानी पूरे गांव में फैल गई।
अगले कुछ दिनों में, गांव के लोगों ने मिलकर जंगल में उस गुफा की तलाशी ली। उन्होंने देखा कि दरिंदा वहां नहीं था, लेकिन उसके खून के धब्बे और जानवरों के अवशेष वहां मौजूद थे। गांव के लोग समझ गए कि दरिंदा घायल होकर कहीं और भाग गया है और अब शायद ही कभी लौटेगा।
अजय की इस बहादुरी ने उसे गांव का हीरो बना दिया। उसकी इस वीरता की कहानी सुनकर लोग उसकी सराहना करने लगे। उसने साबित कर दिया कि डर के आगे जीत होती है। अब गांव के लोग बिना डर के अपने जीवन को जीने लगे और उन्होंने जंगल में फिर से जाना शुरू किया। हालांकि, वे अब भी सतर्क रहते थे और अजय की कहानी को हमेशा याद रखते थे।
अजय ने अपनी जिंदगी को सामान्य रूप से जीना शुरू कर दिया, लेकिन उसकी इस बहादुरी की कहानी हमेशा उसकी यादों में बसी रही। उसने गांव के बच्चों को हमेशा सिखाया कि डर के आगे जीत होती है और हमें हमेशा अपने डर का सामना करना चाहिए। उसकी इस शिक्षा ने गांव के बच्चों को बहादुर और निडर बना दिया।
वर्षों बीत गए और अजय बूढ़ा हो गया। उसकी इस बहादुरी की कहानी अब भी गांव के लोगों की जुबान पर थी। अजय ने अपनी आखिरी सांस लेते वक्त यह महसूस किया कि उसने अपनी जिंदगी को सार्थक बना दिया है और गांव के लोगों को एक नई दिशा दिखाई है। उसकी बहादुरी की कहानी हमेशा शिवपुर के लोगों के दिलों में जीवित रहेगी और वह हमेशा एक प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।
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