रामनाथ गांव का एक युवक था जिसे बचपन से ही भूतों और आत्माओं की कहानियों का शौक था। गांव में बसे हर कोने में भूतिया बंगलों की कई कहानियाँ सुनाई जाती थीं, लेकिन सबसे डरावना माना जाने वाला बंगला एक पुराने पहाड़ी के शिखर पर स्थित था। इस बंगले के बारे में जानकर रामनाथ के मन में उत्कट रूप से उत्कटता और रोमांच उभरी। वह चाहता था कि क्या वाकई में इस बंगले में कुछ अद्भुत होता है, या ये सिर्फ गांव की लोकगाथा है।
गांव के लोगों ने इस बंगले को अपनी डरावनी कहानियों से भरपूर बना दिया था। रात को जब बंगले के पास से गुजरना पड़ता था, तो लोगों की हांकले–बांकले आवाजें और बंगले से आने वाली अजीब सी आवाजें उन्हें डरा देती थीं। किसी ने भी उस बंगले में रात बिताने का साहस नहीं किया था, और अगर कोई नाकामयाबी से बच भी गया तो उसकी अगली सुनाई देने वाली कहानी बन जाती थी।
एक दिन, एक सामान्य गांवी बातचीत के दौरान, रामनाथ ने अचानक फैसला किया कि वह उस बंगले में जाकर रात बिताएगा। उसके दोस्त और साथी उसे रोकने की कोशिश करते रहे, लेकिन रामनाथ का निर्धार हमेशा से भी अद्वितीय और उत्कृष्ट रहा है। उसने एक रात का समय निकाला और अपने मन में उस भूतिया बंगले के लिए तैयारी की।
बंगले की ओर पहुंचते ही रामनाथ ने देखा कि बंगला वाकई में बहुत ही पुराना और डरावना है। इसके चारों ओर घने जंगल थे, और बंगले की दीवारें ढलवांटों से घिरी हुई थीं। उसके दरवाज़े टूटे–फूटे थे और अंदर से आवाज़ें आ रही थीं, जैसे कोई वहां हैं जो रामनाथ का स्वागत करने के लिए इंतज़ार कर रहा हो। रामनाथ थोड़ी देर तक विचार करता रहा, लेकिन फिर अपने आप को साहसी बताते हुए वह बंगले के अंदर प्रवेश कर लिया।
अंदर जाते ही उसे एक अजीब सी ठंडक महसूस होने लगी। बंगले की दीवारों से उसे लगा जैसे कोई नजर रख रहा हो, लेकिन वह किसी को देख नहीं पा रहा था। वह अपनी मुस्कान को संभालते हुए बंगले के अंदर आगे बढ़ा।
बंगले के अंदर विचित्र शांति थी, जो रामनाथ को और अधिक विचलित कर रही थी। वह सोचने लगा कि क्या वाकई यहां कुछ अद्भुत होता है, या बस गांव की लोकगाथा अफवाह है। बंगले के भीतर एक अंधेरे कमरे की ओर बढ़ते हुए, वहन पर अचानक एक अजीब आवाज सुनाई दी।
“कौन है?” रामनाथ ने डर के साथ पूछा।
कोई जवाब नहीं आया। वह अपनी साँसें रोकते हुए वहां खड़ा हो गया, पर उसके सामने न कोई था और न ही कोई वस्तु। धीरे–धीरे वह कमरे के अंदर बढ़ता गया, पर उसे कोई और आवाज नहीं सुनाई दी। उसने अपनी ब्रावरी को दिखाते हुए एक ओर कमरे में प्रवेश किया, और फिर एक ओर।
बंगले के अंदर चलते हुए, रामनाथ को अनेक अजीब चीज़ें नजर आईं। उसने विचार किया कि क्या ये सब सिर्फ उसकी मानसिकता का खेल है, या यहां कुछ असली होने का अवसर है। बंगले के माहौल ने उसे वाकई में अपनी जगह पर ले लिया था।
अचानक, एक अंधेरे कोने से एक अजीब सी आवाज सुनाई दी। रामनाथ ने उस दिशा में दौड़ा, पर वहां पहुंचने पर उसने देखा कि वहां कुछ नहीं था। उसने सोचा कि क्या वह सिर्फ अपनी जिज्ञासा के बल पर यहां आया है, या कुछ अधिक है।
बंगले के अंदर चलते हुए, वह एक छोटे से कमरे में पहुंचा जिसकी दीवारें अच्छे से सजीव थीं, लेकिन फिर उसे वहां भी कोई नहीं मिला। वह दरवाज़े को खोलने की कोशिश कर रहा था कि अचानक उसकी नजर एक पुरानी लाश पर पड़ी। वह थोड़ी देर वहां खड़ा हो गया, अपनी सोच के बारे में सोचते हुए कि उसे यहां क्या मिला।
बंगले के अंदर चलते हुए, वह एक और कमरे में पहुंचा जहां सब कुछ शांत था। वहां एक बड़ी आईना था, जिसमें उसका अजीब सा अवतार उसे आईने में दिखाई दिया। उसने विचार किया कि क्या वाकई यहां कुछ है, या उसकी मानसिकता उसके साथ खिलवाड़ कर रही है।
अचानक, उसकी ध्यान आवाज़ पर गई, जो कह रही थी, “रुको, कौन हो?” रामनाथ उस दिशा में देखने के लिए मुड़ा, पर वहां कुछ भी नहीं था। उसने अपनी ब्रावरी को दिखाने के लिए दौड़ा, लेकिन फिर उसे कुछ भी नहीं मिला। उसने विचार किया कि क्या वह सिर्फ अपनी जिज्ञासा के लिए यहां आया है, या वाकई में कुछ हो रहा है।