यह कहानी एक गांव के बारे में है, जो एक पुराने जमींदार के खलनायकी और बदले की आत्मा से घिरा हुआ था। गांव का नाम था चंद्रपुर, जो एक शांति और सौम्यता से भरा हुआ गांव था। लोग यहां की रहन–सहन से खुश थे, और गांव में हमेशा सुकून और खुशी छाई रहती थी। परंतु, चंद्रपुर की एक अंधेरी और रहस्यमयी कहानी थी, जो उसके शांत और सौम्य वातावरण के पीछे छुपी हुई थी।
गांव में एक पुरानी हवेली थी, जो की चंद्रपुर के पुराने जमींदार की प्राचीन संपत्ति थी। इस हवेली के बारे में लोगों के बीच बहुत सी कहानियाँ फैली हुई थीं। कहा जाता था कि इस हवेली में एक भटकती आत्मा रहती है, जो किसी अन्यहिता से बहुत पुराने विवाद की वजह से आज भी उस जगह में फंसी हुई है।
इस कहानी की मुख्य कथा एक युवा नौजवान, विक्रम के बारे में है। विक्रम चंद्रपुर का ही निवासी था, और उसके परिवार का गहरा नाता इस गांव से था। विक्रम एक संवेदनशील और उत्कृष्ट युवा था, जो अपने गांव की संस्कृति और परंपराओं के प्रति बहुत सम्मान रखता था। उसके पिता गांव के सबसे बड़े किसानों में से एक थे, और विक्रम भी उन्हीं के फ़ूलों के समृद्ध संतान थे।
विक्रम की एक दिनचर्या थी, कि वह रात को अपने दोस्तों के साथ चंद्रपुर के बाहरी हिस्से में बसी हवेली में जाता था। वहां पर उसके दोस्त विवादित कहानियों को लेकर बातचीत करते और अपने डरावने अनुभवों को बांटते थे। विक्रम भी अक्सर उनके साथ शाम को हवेली में जाता था, लेकिन उसे कभी भी कुछ अद्भुत नहीं मिला था।
एक रात, विक्रम और उसके दोस्तों ने फिर से हवेली में अपने आगामी रात की कहानियों की शुरुआत की। बैठक के दौरान, एक दोस्त ने फिर से भटकती आत्मा के बारे में बताया और कहा कि कई लोगों ने रात को उसे अपनी आवाज सुनी है। विक्रम ने उन सभी कहानियों को एक हल्के में लिया, लेकिन उसका मन इस बारे में और भी बहुत सोचने लगा। क्या वाकई हवेली में कोई अद्वितीय और अनसुना है?
अगली रात, विक्रम ने अकेले ही निर्णय लिया कि वह भटकती आत्मा की कहानी को स्वयं जानने के लिए हवेली में जाएगा। उसने अपने दोस्तों को नहीं बताया और चुपचाप हवेली की तरफ बढ़ता हुआ रास्ता लिया। हवेली के पास पहुंचने पर उसका दिल बहुत तेज़ी से धड़कने लगा। वह खुद को साहसी बनाने का प्रयास करता हुआ अंदर प्रवेश कर लिया।
हवेली के अंदर की स्थिति उसे और भी अजीब लगने लगी। यहां पर भारी और अंधेरे कोने थे, और वातावरण में एक अजीब सी ठंडक और अवांछनीय गतिविधियाँ थीं। विक्रम ने ध्यान दिया कि कहीं–कहीं से अजीब सी आवाज़ सुनाई दे रही थी, और उसे लगा कि कोई उसका अंतिम परीक्षण ले रहा है।
एक कमरे में पहुंचते ही, विक्रम ने एक बड़ी और भयानक आईना देखा। उसने देखा कि उसका अजीब अवतार उसे आईने में दिखाई दे रहा है। उसने ध्यान दिया कि क्या वाकई यहां कुछ है, या उसकी मानसिकता उसके साथ खिलवाड़ कर रही है। अचानक, उसकी ध्यान एक अजीब सी आवाज़ पर गई, जो कह रही थी, “रुको, कौन हो?”
विक्रम उस दिशा में देखने के लिए मुड़ा, पर वहां कुछ भी नहीं था। उसने अपनी ब्रावरी को दिखाने के लिए दौड़ा, पर उसे कुछ भी नहीं मिला। उसने विचार किया कि क्या वह सिर्फ अपनी जिज्ञासा के लिए यहां आया है, या वाकई में कुछ हो रहा है।
हवेली के अंदर और चलते हुए, विक्रम ने एक और कमरे में पहुंचा जहां सब कुछ शांत था। वहां एक बड़ी आईना था, जिसमें उसका अजीब सा अवतार उसे आईने में दिखाई दिया। उसने विचार किया कि क्या वाकई यहां कुछ है, या उसकी मानसिकता उसके साथ खिलवाड़ कर रही है।
अचानक, उसकी ध्यान आवाज़ पर गई, जो कह रही थी, “रुको, कौन हो?” विक्रम उस दिशा में देखने के लिए मुड़ा, पर वहां कुछ भी नहीं था। उसने अपनी ब्रावरी को दिखाने के लिए दौड़ा, पर उसे कुछ भी नहीं मिला। उसने विचार किया कि क्या वह सिर्फ अपनी जिज्ञासा के लिए यहां आया है, या वाकई में कुछ हो रहा है।