प्रस्तावना
राजस्थान के धोरों के बीच बसा था एक छोटा सा गाँव, रतनपुर। इस गाँव की सरहद पर एक पुराना कुआं था, जिसके बारे में कहा जाता था कि उसमें एक जिन्न रहता है। यह जिन्न लोगों की मुरादें पूरी करता था, लेकिन हर मुराद की एक कीमत होती थी।
गाँव की मुश्किलें और जिन्न की मदद
रतनपुर के लोग मुश्किलों से जूझ रहे थे। फसलें बर्बाद हो रही थीं, पानी की कमी थी, और बीमारियाँ फैल रही थीं। गाँव के मुखिया ठाकुर हरनाम सिंह ने इस कुएँ के बारे में सुना था। उन्होंने सोचा, अगर यह जिन्न सच में मुरादें पूरी करता है, तो क्यों न गाँव की मुश्किलों का हल उसके पास ही ढूँढा जाए।
ठाकुर का सौदा
ठाकुर हरनाम सिंह ने कुएँ के पास जाकर जिन्न को पुकारा। जिन्न प्रकट हुआ और बोला, “क्या मुराद है तुम्हारी, ठाकुर?” ठाकुर ने गाँव की समस्याएँ बताईं और जिन्न से मदद माँगी। जिन्न ने कहा, “मैं तुम्हारी मुरादें पूरी कर सकता हूँ, लेकिन हर मुराद की एक कीमत होगी। क्या तुम तैयार हो?” ठाकुर ने बिना सोचे-समझे हाँ कर दी।
मुरादें पूरी, लेकिन कीमत भारी
जिन्न ने अपनी जादुई शक्तियों से गाँव की फसलें लहलहा दीं, पानी की समस्या दूर कर दी, और बीमारियों को खत्म कर दिया। गाँव वाले खुश थे, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि जिन्न की कीमत क्या होगी। कुछ दिनों बाद, जिन्न ने ठाकुर के पास आकर कहा, “अब समय आ गया है कि तुम मेरी कीमत चुकाओ। मैं तुम्हारी सबसे अनमोल चीज़ लेना चाहता हूँ।”
ठाकुर की दुविधा
ठाकुर समझ गए कि जिन्न उनकी बेटी, राजकुमारी इंदुमती को माँग रहा है। ठाकुर दुविधा में पड़ गए। एक तरफ था गाँव का भला, दूसरी तरफ थी उनकी बेटी की ज़िंदगी। आखिरकार, उन्होंने अपनी बेटी की ख़ुशी के लिए गाँव की ख़ुशी कुर्बान करने का फैसला किया।
इंदुमती का बलिदान
ठाकुर ने इंदुमती को जिन्न के हवाले कर दिया। इंदुमती ने अपने गाँव वालों के लिए ख़ुशी-ख़ुशी यह बलिदान दिया। जिन्न इंदुमती को लेकर अपने कुएँ में वापस चला गया।
गाँव वालों का पश्चाताप
गाँव वालों को जब पता चला कि इंदुमती ने उनके लिए अपनी जान दे दी है, तो वे बहुत पछताए। उन्होंने ठाकुर को दोषी ठहराया और उन्हें गाँव से निकाल दिया। ठाकुर अपनी बेटी की याद में रोते-बिलखते एक निर्जन जगह पर चले गए।
जिन्न का अंत
कुछ समय बाद, एक साधु रतनपुर आया। उसे गाँव की कहानी पता चली तो उसने जिन्न को सबक सिखाने की ठानी। साधु ने अपनी तपस्या की शक्ति से जिन्न को कुएँ से बाहर निकाला और उसे एक पेड़ में कैद कर दिया। जिन्न ने साधु से माफ़ी माँगी और वादा किया कि वह फिर कभी किसी को परेशान नहीं करेगा।
उपसंहार
रतनपुर के लोग अपनी गलती समझ गए और उन्होंने ठाकुर को वापस बुला लिया। ठाकुर ने गाँव वालों को माफ़ कर दिया और वे सब मिलकर खुशी-खुशी रहने लगे। इंदुमती की याद में गाँव में एक मंदिर बनाया गया, जहाँ लोग उनकी पूजा करने आते हैं।
सीख
यह कहानी हमें सिखाती है कि लालच बुरी बला है। हमें कभी भी किसी की मुराद पूरी करने के लिए गलत रास्ते नहीं अपनाने चाहिए। हमें हमेशा दूसरों की भलाई के बारे में सोचना चाहिए और किसी को भी अपनी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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